इस ब्लॉग का उद्देश्य

भारत में लगभग 1800 फिल्में हर वर्ष बनती हैं, जिसमें से 500 से अधिक सिर्फ हिन्दी फिल्में। लेकिन अक्सर हर साल हम सिर्फ 20-30 से ज़्यादा फिल्में न देख पाते हैं और न उनके बारे में जान पाते हैं, क्यूंकी वो प्रचलित मीडिया का हिस्सा नहीं बन पाती। कभी इसलिए कि उनमें सुपर स्टार माने जाने वाले अभिनेता, दिग्दर्शक आदि नहीं हैं। या फिर उनके गाने मशहूर नहीं हुए। या फिर इसीलिए कि वे किसी विवाद का हिस्सा नहीं रहीं और इसीलिए व्यस्त दर्शकों की नज़र में आने से चूक गईं। ये कोशिश है ऐसी कुछ 'अच्छी' फ़िल्मों के ऊपर लोगों का ध्यान आकर्षित करने की। यहाँ पर यह बयान करना भी ज़रूरी है कि , ये फिल्में 'अच्छी' हैं ये इस लेख के लेखक की सोच है और आपका मत भिन्न हो सकता है और इसकी पूरी संभावना भी है। एक और बात बताना ज़रूरी है कि, इन लेखों में हो सकता है फ़िल्म की कहानी और घटनाओं का विवरण हो। यानि की ‘स्पॉइलर्स’ हो सकते हैं। इन उद्देश्यों के अलावा एक और उद्देश्य यह भी है कि उपरोक्त फ़िल्मों को न सिर्फ उनकी कहानी, अभिनय, निर्देशन की गुणवत्ता के आधार पर बात की जाए, बल्कि उस कहानी के परिप्रेक्ष्य में और भी बातें की जाएँ, जो देखी हुई फ़िल्म को भी एक नयी दिशा देने की कोशिश कर सके। 

Comments

Popular posts from this blog

जेनिसिस (Genesis)

Milestone (मील पत्थर) -2021

थोड़ा सा रूमानी हो जाएँ

ट्रेप्ड (Trapped)

अचानक (1973)

आदमी और औरत (1984)