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आदमी और औरत (1984)

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  आदमी और औरत  लेखक हेलन केलर ने कहा था, “हालांकि ये दुनिया पीड़ाओं से भरी हुई है, पर पीड़ा से जूझ कर उससे उबरने की कथाओं से भी भरी पूरी है” । मानवता के उदय से ये संघर्ष जारी है, और इन विजयों का मुख्य कारण है, मानव का एक दूसरे से जुड़ाव। अक्सर इसी प्रकार सहज रूप से अलग-अलग पृष्ठभूमियों और जीवन शैलियों के लोगों में आपसी जुड़ाव पैदा हुआ और सभ्यता आगे बढ़ती गई। अलगाव से ऊपर उठकर, आपसी अपनेपन की अनुभूति में ही मानवता का मूल छिपा है। आज पर्दानशीं पर हम इसी तरह के जुड़ाव की एक अनोखी कहानी से रूबरू होते हैं। वर्ष 1984 की तपन सिन्हा कृत “आदमी और औरत”। ये मात्र 55 मिनिट की एक फ़िल्म है। जिसे दूरदर्शन और मंडी हाउस के सौजन्य से बनी एक टेलीफ़िल्म के रूप में प्रस्तुत किया गया था। तपन सिन्हा अक्सर अपनी फ़िल्मों में बिंबों के माध्यम से इंसानी संबंधों को रूपक की तरह पेश करते थे। मृणाल सेन, ऋत्विक घटक और सत्यजीत रे के साथ सार्थक बंगाली फ़िल्मकारों की चौकड़ी बनाने वाले तपन सिन्हा ने यूं तो हिन्दी में कम फ़िल्में बनाई लेकिन उनकी कई फ़िल्मों का हिन्दी रूपांतरण अक्सर हुआ। हिन्दी में “एक डॉक्टर की मौत” उनकी यादगार फ़

ट्रेप्ड (Trapped)

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तनहाई, एक अजीब किस्म का एहसास है। कभी तो आपको भीड़ में भी अपने आपको तन्हा पाने का सबब हो सकता है और कभी सभ्यता से कोसों दूर नितांत जंगल की शांति में भी नहीं। अकेलापन का एहसास होना और अकेला होना दो अलग अलग बातें हैं। अकेलापन कभी भी हमें घेर सकता है और हमें तन्हा, हताश और बेबस और कभी कभी दुस्साहसी भी बना सकता है। कभी कभी यही अकेलापन हमें अपने आप को पहचानने, अपनी कमजोरियों से लड़ने और हमें अधिक सृजनशील बनाने में भी कारगर हो सकता है।  सर्वाइवल (survival)  फ़िल्में एक ऐसी तरह की फ़िल्में होती हैं जिसमें एकांत एक मुख्य पात्र होता है। इन फ़िल्मों में नायक अक्सर ऐसी परिस्थियों में फँस जाते हैं जहां उन्हे सिर्फ़ अपने आप को विषम परिस्थितियों से बचाना ही उद्देश्य नहीं होता, बल्कि इसके साथ उन्हे अपने अंदर के खालीपन और कमियों से आत्मसाक्षात्कार भी होता है।  सभ्यता से संपर्क कट जाने के कारण उन्हे ज़िंदा रहने की कवायद भी होती है और अपने अंदर के इंसान को और उसके विवेक को बचाने की भी लड़ाई लड़नी पड़ती है।  कई सर्वाइवल फ़िल्में हमने देखी है, खासकर पश्चिम में बनी हुई, जो नायक को किसी ऐसी जगह पर छोड़ देती हैं जहां उस