चोक्ड (Choked) -2020
चोक्ड (Choked) चोक्ड (Choked) यानि की “घुटा हुआ”, “रुँधा हुआ”, “जाम हो चुका”। मानव की फितरत होती है, एक ढर्रे को बनाना और उसपर चलते जाना। एक इंसान का जीवन कैसे भी हालातों से गुज़रे, वो उनके साथ रहने और यापन करने की आदत बना ही लेता है। हमें परिस्थिति कितने भी अनुकूल या प्रतिकूल हालातों में धकेल दे, हम इसमें धीरे धीरे जीने का ढंग निकाल ही लेते हैं, और एक ढर्रा बना लेते हैं, जिस पर चलते जाते हैं। इसके ठीक विपरीत प्रकृति की फ़ितरत है बदलाव। प्रकृति किसी भी अवसर पर, बिना किसी पूर्व सूचना के, मौके-बेमौके नए नए ढंग दिखाती रहती है। और ये बदलाव जीवन के ढर्रे में गतिरोध पैदा करते हैं। और अचानक सब कुछ जाम हो जाता है, “चोक्ड“ हो जाता है। और अब जीवन को आदत अनुसार, इस नए व्यवधान के साथ अपने ढर्रे को फिर से ढूँढना पड़ता है। और इस दौरान एक अव्यवस्था का, एक अराजकता का काल आता है। जीवन के इसी बिन्दु को दर्शाती है अनुराग कश्यप की "चोक्ड"। 2020 में नेटफ्लिक्स के सौजन्य से प्रदर्शित इस फ़िल्म की पृष्ठभूमि में है नवंबर 2019 में भारत में लागू विमुद्रीकरण या डिमोनिटाइज़ेशन। फ़िल्...