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Showing posts from December, 2024

पैटरसन (Paterson)

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पैटरसन (Paterson)  ( इस ब्लॉग पर पहली दफ़ा एक इंग्लिश फ़िल्म पर आलेख लिख रहा हूँ। हाँ! यह इसके उद्देश्य और तारतम्य को तोड़ता सा महसूस होता है, लेकिन इसे दर्ज करने का और कोई स्थान मेरे पास फिलहाल नहीं है इसीलिए यहीं पर जोड़ रहा हूँ। शायद बाद में इसे कहीं और स्थानांतरित कर दूँ। ) आधुनिक युग में कविता एक ऐसी कला है, जिससे आम आदमी अक्सर दूर भागता है। हिन्दी कविता के लिए तो खास तौर पर यही कहा जा सकता है कि मंचों की कविताई के अलावा , जो हास्य या बयानबाज़ी से ज्यादा कुछ खास नहीं कहती, बाकी हर तरह की कविता से आमतौर पर लोग बचते नज़र आते हैं, शायद इसीलिए क्योंकि कविता उनके लिए एक नीरस, दुर्गम या निराशा से भरी कला का रूप है।  इस बात का कारण शायद यह हो सकता है कि बचपन की तुकबंदियों के बाद, कविता से जो वास्ता पड़ता है वह परीक्षा में अंक पाने के लिए हिन्दी/इंग्लिश/क्षेत्रीय भाषाओं की कविता की संदर्भ सहित व्याख्या तक ही सीमित रह जाता है। या फिर इसके आगे पढ़ने वालों के लिए छंदों के प्रकार और मात्राओं की गणना की दुरूहता से यह फ़ासला और बढ़ता जाता है।  शायद इसी कारण से कविता को सार्वजनिक जीवन और लोक...

चोक्ड (Choked) -2020

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  चोक्ड (Choked) चोक्ड (Choked) यानि की “घुटा हुआ”, “रुँधा हुआ”, “जाम हो चुका”।  मानव की फितरत होती है, एक ढर्रे को बनाना और उसपर चलते जाना। एक इंसान का जीवन कैसे भी हालातों से गुज़रे, वो उनके साथ रहने और यापन करने की आदत बना ही लेता है। हमें परिस्थिति कितने भी अनुकूल या प्रतिकूल हालातों में धकेल दे, हम इसमें धीरे धीरे जीने का ढंग निकाल ही लेते हैं, और एक ढर्रा बना लेते हैं, जिस पर चलते जाते हैं। इसके ठीक विपरीत प्रकृति की फ़ितरत है बदलाव। प्रकृति किसी भी अवसर पर, बिना किसी पूर्व सूचना के, मौके-बेमौके नए नए ढंग दिखाती रहती है।  और ये बदलाव जीवन के ढर्रे में गतिरोध पैदा करते हैं। और अचानक सब कुछ जाम हो जाता है, “चोक्ड“ हो जाता है।  और अब जीवन को आदत अनुसार, इस नए व्यवधान के साथ अपने ढर्रे को फिर से ढूँढना पड़ता है।  और इस दौरान एक अव्यवस्था का, एक अराजकता का काल आता है।  जीवन के इसी बिन्दु को दर्शाती है अनुराग कश्यप की "चोक्ड"। 2020 में नेटफ्लिक्स के सौजन्य से प्रदर्शित इस फ़िल्म की पृष्ठभूमि में है नवंबर 2019 में भारत में लागू विमुद्रीकरण या डिमोनिटाइज़ेशन। फ़िल्...